Tuesday, October 7, 2014

जो अपने लक्ष्य


जो अपने लक्ष्य के प्रति पागल हो गया हो उसे ही प्रकाश का दर्शन होता हे !जो थोडा इधर थोडा उधर हाथ मारते हें वे कोइ लक्ष्य पूर्ण नहीं कर पाते ! वे कुछ क्षणों के लिये बडा जोश दिलाते हें ,किन्तु यह शीघ्र ठंडा हो जाता हे !

Sunday, October 5, 2014

प्रत्येक स्थान



प्रत्येक स्थान और समय बोलने के योग्य नहीं होते, कभी-कभी मौन रह जाना बुरी बात नहीं |

Saturday, October 4, 2014

Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] भक्त वह हे


---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga4@gmail.com>
Date: 2014-10-05 10:08 GMT+05:30
Subject: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] भक्त वह हे
To: mggarga4@gmail.com




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Posted By Madan Gopal Garga to Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj at 10/05/2014 10:08:00 AM

Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] भक्त वह हे








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Posted By Madan Gopal Garga to Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj at 10/05/2014 10:08:00 AM

भक्त वह हे

Thursday, October 2, 2014

Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] Fwd: [DELHI (VISHWAJAGRITI MISSION )] मुसीबत मैं गुरु


To: mggarga4@gmail.com










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Posted By Madan Gopal Garga to Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj at 10/03/2014 10:40:00 AM

Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] Fwd: [DELHI (VISHWAJAGRITI MISSION )] मुसीबत मैं गुरु









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Posted By Madan Gopal Garga to Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj at 10/03/2014 10:40:00 AM

Fwd: [DELHI (VISHWAJAGRITI MISSION )] मुसीबत मैं गुरु









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संत कबीर दोहे

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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

 मदन गोपाल गर्ग ,एल एम्, वी जे एम् 



संत कबीर दोहे
सब धरती कागद करूं, लखनी सब बनराय।

सात समुँदर की मसि करूं, गुरू गुन लिखा न जाय।!

कबीर ते नर अंध है, गुरू को कहते और।

हरी रूठे गुरू ठौर है, गुरू रूठे नहीं ठौर।।

गुरू बडे गोविन्द ते, मन में देखू विचारी।

हरी सुमिरे सो बार, गुरू सुमिरे सो पार।।