Thursday, October 9, 2014
Tuesday, October 7, 2014
जो अपने लक्ष्य
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मदन गोपाल गर्ग ,एल एम्, वी जे एम्
जो अपने लक्ष्य के प्रति पागल हो गया हो उसे ही प्रकाश का दर्शन होता हे !जो थोडा इधर थोडा उधर हाथ मारते हें वे कोइ लक्ष्य पूर्ण नहीं कर पाते ! वे कुछ क्षणों के लिये बडा जोश दिलाते हें ,किन्तु यह शीघ्र ठंडा हो जाता हे !
Sunday, October 5, 2014
प्रत्येक स्थान
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मदन गोपाल गर्ग ,एल एम्, वी जे एम्
प्रत्येक स्थान और समय बोलने के योग्य नहीं होते, कभी-कभी मौन रह जाना बुरी बात नहीं |
Saturday, October 4, 2014
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] भक्त वह हे
---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga4@gmail.com>
Date: 2014-10-05 10:08 GMT+05:30
Subject: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] भक्त वह हे
To: mggarga4@gmail.com
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Posted By Madan Gopal Garga to Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj at 10/05/2014 10:08:00 AM
From: Madan Gopal Garga <mggarga4@gmail.com>
Date: 2014-10-05 10:08 GMT+05:30
Subject: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] भक्त वह हे
To: mggarga4@gmail.com
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मदन गोपाल गर्ग ,एल एम्, वी जे एम्
- भक्त वह हे जो अपना मन उस पृथवी के समान बना ले जिसमें लोग विष्ठा डालते हें पर वह
अन्न देती हे !
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Posted By Madan Gopal Garga to Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj at 10/05/2014 10:08:00 AM
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] भक्त वह हे
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मदन गोपाल गर्ग ,एल एम्, वी जे एम्
- भक्त वह हे जो अपना मन उस पृथवी के समान बना ले जिसमें लोग विष्ठा डालते हें पर वह
अन्न देती हे !
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Posted By Madan Gopal Garga to Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj at 10/05/2014 10:08:00 AM
भक्त वह हे
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मदन गोपाल गर्ग ,एल एम्, वी जे एम्
- भक्त वह हे जो अपना मन उस पृथवी के समान बना ले जिसमें लोग विष्ठा डालते हें पर वह
अन्न देती हे !
Thursday, October 2, 2014
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] Fwd: [DELHI (VISHWAJAGRITI MISSION )] मुसीबत मैं गुरु
To: mggarga4@gmail.com
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Posted By Madan Gopal Garga to Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj at 10/03/2014 10:40:00 AM
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] Fwd: [DELHI (VISHWAJAGRITI MISSION )] मुसीबत मैं गुरु
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Posted By Madan Gopal Garga to Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj at 10/03/2014 10:40:00 AM
संत कबीर दोहे
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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
मदन गोपाल गर्ग ,एल एम्, वी जे एम्
संत कबीर दोहे
सब धरती कागद करूं, लखनी सब बनराय।
सात समुँदर की मसि करूं, गुरू गुन लिखा न जाय।!
कबीर ते नर अंध है, गुरू को कहते और।
हरी रूठे गुरू ठौर है, गुरू रूठे नहीं ठौर।।
गुरू बडे गोविन्द ते, मन में देखू विचारी।
हरी सुमिरे सो बार, गुरू सुमिरे सो पार।।
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