Sunday, May 31, 2015

ध्यान योग की



ध्यान योग की अनूठी अध्यात्मिक राह पर चलने के लिए मनुष्य को तीन कृपाओ की परम आवश्यकता होती है। प्रथम ईश्वरीय कृपा, द्वितीय गुरु कृपा और तृतीय स्वयं की स्वयं पर कृपा।

मानव जीवन शोभायमान



जैसे दिन को सजाता है सूर्य और रात को सजाता है चाँद, वैसे ही मानव जीवन को सौंदर्य से युक्त करने का काम सदगुरु करते हैं । किंतु यह अनुपम उपलब्धि केवल सदगुरु बनाने से प्राप्त नहीं होती, बल्कि सदगुरु के चरणों का दास बन जाने के बाद ही मानव जीवन शोभायमान होता है।

Friday, May 29, 2015

आत्मा का परमात्मा से





चित्त एक सरोवर की तरह है, जिसमे तरंगे उठती रहती हैं। जिससे मनुष्य मूल तत्त्व का अवलोकन नहीं कर पाता। जब बताये गए साधनों के द्वारा चित्त रुपी सरोवर की तरंगे शांत हो जाती हैं तो उसमे प्रवाहित होने वाला जल निर्मल हो जाता है और आत्मा का परमात्मा से योग होता है। 

Thursday, May 28, 2015

मति चार प्रकार की




मति चार प्रकार की होती है। सुमति, कुमति, दुर्मती और महामति। मेरा फायदा हो या न हो, दुसरे का अवश्य होना चाहिए, यह सुमति है। मेरा फायदा न हो तो दुसरे का भी न हो, यह कुमति है। मेरा कोई लाभ नहीं परन्तु दुसरे का नुक्सान अवश्य होना चाहिए , यह दुर्मती है। और महामति होती है की मेरा भले ही नुकसान हो किन्तु दुसरे का फायदा अवश्य होना चाहिए यह देवताओं की मति है। 
परम पूज्य श्री सुधान्शुजी महाराज 

भगवान ने सबको







संसार के आकाश में सूर्य को आदर्श मान कर चलो यह संसार तो आकाश  की तरह है। जैसे आकाश में कोई पक्षी उड़ता है, उसका कोई पथ नहीं होता- खुला आकाश सबके सामने पड़ा हुआ है उसी तरह भगवान ने सबको स्वतंत्रता दी है। अपनी मंजिल और अपना रास्ता आपको तय करना है। आप कहां-से-कहां जाना चाहते है, यह आपको सोचना है। खुले आसमान में कोई निशान नहीं लगाये गये हैं, जिनसे आपको रास्ता पता लगे। आकाश में कहीं सड़के नहीं हैं । पक्षी उड़ता है तो उसे स्वंय अपने मार्ग का निर्धारण करना पड़ता है। तुम्हारे सामने तुम्हारा रास्ता खुला पड़ा है। अपनी बुद्धि से, अपने ह्रदय की संवेदनाओं से अपना मार्ग चुनो।

Wednesday, May 27, 2015

प्रभु के नाम के

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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज



प्रभु के नाम के संकीर्तन और भजन की महिमा महान है, अपरम्पार होती है। उसकी मस्ती को शब्दों में व्यक्त कर पाना नामुमकिन है। 

बहुत पछताओगे

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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज


"प्रभु के भरोसे हांको गाडी, जब लुट जाएगी श्वासों की पूँजी, बहुत पछताओगे अनाड़ी"

Sunday, May 24, 2015

पशु-पक्षियों से मनुष्य




पशु-पक्षियों से मनुष्य को श्रेष्ट इसीलिए कहा गया है क्योंकि भगवान ने मनुष्य को बुद्धि दी है, सोचने समझने की शक्ति दी है। भगवान ने मनुष्य को सबसे बेहतर बनाया है। सभी पशु-पक्षी गर्दन झुका कर खाते हैं लेकिन सिर उठा कर खाने वाला तो केवल मनुष्य है। भगवान ने मनुष्य की रीढ़ की हड्डी ऐसी बनाई जो आकाश की ओर उठी हुई है। इसका मतलब है कि जितनी स्वतंत्रता भगवान ने मनुष्य को दी है उतनी और किसी को नहीं । भगवान ये भी चाहते हैं कि मनुष्य ऊंचा उठे तो इतना ऊंचा उठे कि आकाश की ऊँचाइयों छू ले।

Thursday, May 21, 2015

सत्संग की ज्ञान गंगा




सत्संग की ज्ञान गंगा से मन को पवित्र करके इस उचल कूद मचाते हुए मन को परमात्मा रुपी नाम की लोरी सुनते जाओ, तब यह मन परमात्मा में निमग्न होगा। 

Wednesday, May 20, 2015

Jo milne par





Jo milne par sadaiv khushi de, woh sajjan. Jo milne par dukh de, woh durjan. Tera jaana aisa ho ki sabki aankhon mein aansoon ho.
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

मन के पौधे को




मन के पौधे को संसार से उखाड़कर परमात्मा के दरबार में लगा दो, भक्ति से सीचना इस पौधे को। ज्ञान का जल, तपस्या की खाद डालना, यह मन भगवन का दर्शन कराएगा। 

गुरु भक्तो ! विचार कीजिए




गुरु भक्तो ! विचार कीजिए कि आप आध्यात्मिक दृष्टि से कहाँ हैं ?

अधि का अर्थ है ऊपर और आत्म का अर्थ है स्वयं दोनों का संधिपरक अर्थ है स्वयं से ( निजी स्वार्थों से )ऊपर और जो निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर कार्य करता है वह आध्यात्मिक कहलाता हे !
इस दृष्टि से अब विचारणीय यह है की आप कितने आध्यात्मिक हैं ?
* क्या कभी आपने सोचा है की स्वयं के लिए जीने अथवा अपना पेट भरने के लिए ही आपका जन्म नहीं हुआ ?
* क्या कभी आप अपने दुर्गुणों ( स्वार्थ ,इर्षा ,द्वेष ,लोभ ,-मोह , दंभ आदि )को दूर करने तथा सदगुण ( सेवा ,परोपकार ,सहानभूति स्वाध्याय ,सत्संग ,संतोष ,समर्पर्ण आदि ) के ग्रहण द्वारा लोकहित के लिए एकांत चिंतन करते हैं ?
*क्या कभी आपने स्वयं न खाकर किसी भूके को खिलाया है अथवा किसी खिलाने वाले का सहयोग दिया है ?
* क्या आपने कभी दीन दुखिया और बिछुडों को गले लगाया हे ?
*सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर क्या कभी आपने गिरतों की बांह पकड़ी ! 

बिना हरी नाम



बिना हरी नाम के दुखियारी सारी दुनिया" 

Tuesday, May 19, 2015

जीवन के दो पक्ष




रथ के दो पहियों की तरह जीवन के दो पक्ष हैं - ज्ञान और योग - इनका मेल बिठाओ, नहीं तो जीवन एक ही जगह रुका रह जायेगा। 

Sunday, May 17, 2015

छिनना है तो




"छिनना है तो दूसरों के आंसू छीनो, देना चाहते हो तो दूसरो को मुस्कान दो।" 

यह जीवन तभी तक आनंदित




"नदी के दो किनारे उसकी दो सीमा रेखायें हैं, जब नदी उसके बीच में होकर बहती है तब उसका सौन्दर्य है और किनारे तोड़कर नदी बाहर आ जाये तो विनाश की स्थिती उत्पन्न कर देगी। यह जीवन तभी तक आनंदित हो सकता है, उन्नति का कारण बन सकता है, यश का कारण बन सकता है, जहाँ मर्यादाओं के बीच में जीवन बहता हो। किनारा तोड़कर बाहर आओगे, सम्मान के हकदार नहीं रह पाओगे।

मर्यादा समाज में भी महत्वपूर्ण चीज़ है, जीवन में भी महत्वपूर्ण चीज़ है।

Friday, May 15, 2015

जीवन में चमत्कार



जीवन में जब तक विवेक का ब्रेक नहीं होगा, तब तक इस दुनिया की घाटी में जीना बड़ा मुश्किल काम है। विवेक और साधना दोनों मिल जाएँ तो जीवन में चमत्कार होता है। विवेक तो रक्षा करता है और साधना आपके अंदर स्थिरता लाती है। 

क्रोध को जीवन

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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

क्रोध को जीवन मे स्थान न दे ।जैसे सूखे पेड़ को पक्षी छोड़ कर चले जाते है इसी तरह क्रोधी व्यक्ति को भी लोग छोड़ कर दूर हो जाते है । बात - बात मे भड़क जाने वाले व्यक्ति से हर कोई बात करने से कतराता है

Wednesday, May 13, 2015

जो आँखे अपने

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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

जो आँखे अपने प्यारे प्रभु को निहारती है- वह आँखे धन्य है , जो कान निरंतर प्रभु महिमा सुनते है वह कान धन्य है , जो जीभ दिन - रात प्रभु का गुणगान करती है वह जीभ धन्य है । प्रतिदिन सत्संग अपनाओ और जीवन ऊपर उठाओ ।

जो व्यथाऍं प्रेरणा दें




जो व्यथाऍं प्रेरणा दें, उन व्य्थाओं को दुलारो,

जूज्ञ कर कठनईयों से रंग जीवन का निखारो,
बृक्ष कट -कट कर बढा हे,
दीप बुज्ञ -बुज्ञ कर जला हे,
मृत्यु से जीवन मिले तो उसकी आरती उतारो!

हममें परमात्मा है



समुद्र में घड़ा पानी का भरिये, स्थिति ऐसी होगी की पानी बहार भी है और अन्दर भी, बीच में घड़ा दिखाई दे रहा है तो वैसे ही हममें परमात्मा है और परमात्मा में हम है। 

Monday, May 11, 2015

some good thaughts




जीतने के लिए ------प्रेम जीतो 
पीने के लिए  -------- क्रोध पीओ 
खाने के लिए -------गम खाओ 
देने के लिए ---------दान दो
लेने के लिए -------ज्ञान लो 
कहने के लिए ------सत्य कहो 
रखने के लिए -------इज्जत रखो 
फेंकने के लिए -------इर्ष्या फेंको 
छोड़ने के लिए -------मोह छोडो 
दिखाने के लिए ------दया दिखाओ 

आपकी जैसी



आपकी जैसी दृष्टी हे वेसा ही आप संसार देखते हैं !

दिशा और दशा

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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

जो अपने जीवन की दिशा बदल ले उसकी दशा स्वंय सुधर जायेगी। दिशा और दशा का आपस में ऐसा अविच्छिन्न संबंध है जैसे पुष्प का सुगन्ध से, दीपक का बाती से। दिशा सही सच्ची तो दशा भी श्रेष्ठ और अच्छी।

Sunday, May 10, 2015

Saturday, May 9, 2015

जो छोटी छोटी






जो छोटी छोटी बात में दुखी नहीं होते, जो पक्षपात नहीं करते, जो किसी के साथ धोखा नहीं करते, ऐसे ह्रदय में भगवन बसते हैं। 

Fwd: [Vishwa Jagriti Mission Mandal] प्रेम से प्रभु





काम करते चलो नाम जपते चलो

हर समय शिव का ध्यान धरते चलो

नाम धन का खज़ाना बढ़ाते चलो

प्रेम से प्रभु को रिझाते चलो

अपने मन को सुमार्ग पर चलाते चलो।




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Posted By Madan Gopal Garga to Vishwa Jagriti Mission Mandal at 5/07/2015 09:29:00 PM

यह सत्संग




यह सत्संग की नैय्या प्रभु ने बनाई , यहाँ बैठकर पार हो जाओ भाई"

Thursday, May 7, 2015

प्रेम से प्रभु



काम करते चलो नाम जपते चलो

हर समय शिव का ध्यान धरते चलो

नाम धन का खज़ाना बढ़ाते चलो

प्रेम से प्रभु को रिझाते चलो

अपने मन को सुमार्ग पर चलाते चलो।


Wednesday, May 6, 2015

उत्तम आचरण,




उत्तम आचरण, उत्तम गुण, ह्रदय के उत्तम भाव, इश्वर की भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार और धर्मं का पालन करना- अमृत पान के सामान है और यह अमृत मिलता है सत्संग के माध्यम से।

Sunday, May 3, 2015

दूसरों के दोष

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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज



दूसरों के दोष ढूंढने में अपनी शक्ति का अपव्यय मत करो। अपने आप को ऊँचा उठाने का हर सम्भव प्रयास जारी रखो, उसे कम न होने दो।

 

हर किसी में अच्छाई को ढूंढो, उससे कुछ सीखकर अपना ज्ञान और अनुभव बढाओ। इससे तुम बहुत जल्दी ऊँचाई तक पहुँच सकते हो।

Saturday, May 2, 2015

Fwd: [Vishwa Jagriti Mission Mandal] Fwd: [AMRIT VANI ] 5/01/2015 05:19:00 pm








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Madan Gopal Garga LM VJM द्वारा AMRIT VANI के लिए 5/01/2015 05:19:00 pm को पोस्ट किया गया



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Posted By Madan Gopal Garga to Vishwa Jagriti Mission Mandal at 5/01/2015 04:51:00 AM

Friday, May 1, 2015

Fwd: [AMRIT VANI ] 5/01/2015 05:19:00 pm


---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga LM VJM <mggarga@gmail.com>
Date: 2015-05-01 17:19 GMT+05:30
Subject: [AMRIT VANI ] 5/01/2015 05:19:00 pm
To: mggarga@gmail.com





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Madan Gopal Garga LM VJM द्वारा AMRIT VANI के लिए 5/01/2015 05:19:00 pm को पोस्ट किया गया