मन में सेवा भाव रखना मानव-जीवन का श्रेष्ठ गुण है। सेवा का मार्ग हमेशा पुष्पों से सुसज्जित नहीं होता बल्कि सेवा के मार्ग में कांटे भी मिलते हैं। सेवा ऐसा अध्यात्मिक गुण है जिसके द्वारा व्यक्ति शत्रु को भी मित्र बना लेता है।
Wednesday, April 29, 2015
Sunday, April 26, 2015
जीवन का अर्थ
जीवन का अर्थ है जाग्रति । जिनकी आँखों मे नया सवेरा हो , उमंग , उत्साह , उल्लास और खुशियों से जिसने स्वयं को सजाया हो वही भगवान का लाडला है ।
Saturday, April 25, 2015
मंदिर मे गन्दगी
मंदिर मे गन्दगी लेकर न जाओ , मन को भी स्नानं करवा के लेकर जाओ । पवित्र मन के पात्र मे जरुर अमृत भरा जायेगा । उस पवित्र पात्र को लेकर घर मे आना , घर मे भी शांति आएगी ।
Friday, April 24, 2015
आदमी का अन्तःकरण
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आदमी का अन्तःकरण स्वच्छ होना चाहिए । यदि हम खुद अच्छे हैं तो दुनिया अच्छी है। यदि हम बुरे हैं तो दुनिया हमारे लिए बुरी ही साबित होगी। दूसरों की अच्छाई तो देखो पर बुराई न देखो, वरना दुनिया हमारे लिए बुरी ही होगी।
Thursday, April 23, 2015
जीवन एक
जीवन एक यात्रा है जो एक न एक दिन समाप्त हों जाएगी !
जीवन को जीना है निभाना नहीं है हंस कर जल्दी कट जायगी रोने से नहीं कटपाएगी !
Wednesday, April 22, 2015
आदमी का अन्तःकरण
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Sunday, April 19, 2015
घर से बहार
घर से बहार निकलो तो माथे पर शीतलता और होंठों पे मुस्कान और माधुर्य लेकर जाओऔर जब घर लौटो तो यह वापस भी आना चाहिए।
बेटी के सुखी जीवन के लिए
बेटी के सुखी जीवन के लिए
* ससुराल पक्ष के लोग और उसके पति को उनकी आदतें,
स्वभाव , रुचियाँ समझने और उनके साथ तालमैल मिलाने का अवसर है !
* हर बात में बेटी का पक्ष न लें ! उसे त्याग ,समर्पण ,सहयोग ,
एवं प्रत्येक के साथ मधुर व्यवहार की शिक्षा दें !
* ससुराल वाले बहू को बेटी मानें यह बहुत अच्छा हे लेकिन
बहू ससुराल में स्वंय को बेटी मानने की भूल कभी न करे !
*क्योकि बेटी अपने माता पिता के घर में माता-पिता और भाइ -बहन इत्यादि से अपेक्षा और अपने कार्य के प्रति उपेक्षा रखे तो चलता है लकिन ससुराल में यही अपेक्षा और उपेक्षा भारी कष्ट का कारण बनती है !
* अगर किसी से कोई कठोर बात कहने की आवश्यकता पडे यो उसे मधुर शब्दों में ही कहना चाहिए !
* पति के घर में सबकुछ पिता के घर जैसा कभी नही होता !
इसलिए बेटी को ससुराल में ससुराल की परिस्थितियां ,वहां क्र अभाव -प्रभाव ,लोकरीति,व्यवहार ,रीति तथा कुल परम्पराओं के अनुसार जीवन जीने की प्रेरणा दें !
*अगर कोई अच्छी बात अच्छी आदत को बेटी वहां के लोगों में
डालना चाहती हे तो बडी सावधानी ,धैर्य एवं धीरे धीरे और उसका स्वयं आचरण करके प्रारंभ करे अन्यथा वहां के लोगो का अहंइसे सहन नहीं कर पायेगा!
*पति को उसके माता पिता ,भाई बहन के प्रति दायित्वों से विमुख करने का प्रयास कभी न करें इससे मनों में कटुता आती है !
*स्त्री पर तीन कुलों के निर्माण का दायित्व होता है उसे इस गरिमा को कभी नहीं भूलना चाहिए !
*इस महान कार्य की पूर्ति वह प्रेम ,सहनशीलता सदव्यवहार ,सदाचरण एवं त्यागपूर्ण जीवन से ही कर सकती हैं !
धर्मदूत जुलाइ 2010 से !
--
* ससुराल पक्ष के लोग और उसके पति को उनकी आदतें,
स्वभाव , रुचियाँ समझने और उनके साथ तालमैल मिलाने का अवसर है !
* हर बात में बेटी का पक्ष न लें ! उसे त्याग ,समर्पण ,सहयोग ,
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* ससुराल वाले बहू को बेटी मानें यह बहुत अच्छा हे लेकिन
बहू ससुराल में स्वंय को बेटी मानने की भूल कभी न करे !
*क्योकि बेटी अपने माता पिता के घर में माता-पिता और भाइ -बहन इत्यादि से अपेक्षा और अपने कार्य के प्रति उपेक्षा रखे तो चलता है लकिन ससुराल में यही अपेक्षा और उपेक्षा भारी कष्ट का कारण बनती है !
* अगर किसी से कोई कठोर बात कहने की आवश्यकता पडे यो उसे मधुर शब्दों में ही कहना चाहिए !
* पति के घर में सबकुछ पिता के घर जैसा कभी नही होता !
इसलिए बेटी को ससुराल में ससुराल की परिस्थितियां ,वहां क्र अभाव -प्रभाव ,लोकरीति,व्यवहार ,रीति तथा कुल परम्पराओं के अनुसार जीवन जीने की प्रेरणा दें !
*अगर कोई अच्छी बात अच्छी आदत को बेटी वहां के लोगों में
डालना चाहती हे तो बडी सावधानी ,धैर्य एवं धीरे धीरे और उसका स्वयं आचरण करके प्रारंभ करे अन्यथा वहां के लोगो का अहंइसे सहन नहीं कर पायेगा!
*पति को उसके माता पिता ,भाई बहन के प्रति दायित्वों से विमुख करने का प्रयास कभी न करें इससे मनों में कटुता आती है !
*स्त्री पर तीन कुलों के निर्माण का दायित्व होता है उसे इस गरिमा को कभी नहीं भूलना चाहिए !
*इस महान कार्य की पूर्ति वह प्रेम ,सहनशीलता सदव्यवहार ,सदाचरण एवं त्यागपूर्ण जीवन से ही कर सकती हैं !
धर्मदूत जुलाइ 2010 से !
--
Friday, April 17, 2015
भाग्य क्या है ?
भाग्य क्या है ? अवसर और तत्परता, दोनों का मिलन ही भाग्य है। जो अवसर को पह्चान ले और तत्परता से पकड़ ले, बस समझ लीजिए भाग्य हाथ में आ गया। अवसर को ढूढिए, अवसर को पहचानिए और तत्परता से फ़ायदा उठI लीजिए, नहीं तो वो लौट के आने वाला नहीं है।
गुरु बीज है,
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सत्संग मौसम है, गुरु बीज है, श्रोता भूमि है। गुरु के ज्ञान से विवेक खुलता , अज्ञान का नाश होता है। गुरु आपके अन्दर ज्ञान का प्रकाश करके अँधेरा दूर करता है।
Wednesday, April 15, 2015
परारब्ध से
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परारब्ध से बढ़कर पुरुषारथ हे कर्म से ही भाग्य
बनता हे कर्म को ठीक कीजीये भाग्य स्वयं
ठीक हों जायेगा
बनता हे कर्म को ठीक कीजीये भाग्य स्वयं
ठीक हों जायेगा
Tuesday, April 14, 2015
आपके विचार
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आपके विचार बदले तो दुनिया बदल जाती
है ! दुनिया बदलती है तो जीवन बदल जाता
है !
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है !
Saturday, April 11, 2015
Fwd: [Agrawal samaj kalyan (regd)] गुरू का नाम
---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga1@gmail.com>
Date: 2015-04-11 10:11 GMT+05:30
Subject: [Agrawal samaj kalyan (regd)] गुरू का नाम
To: mggarga4@gmail.com
गुरू का नाम जपता जा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू का मंत्र जपता जा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू से नेह बढ़ा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू को ह्रदय में बैठा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू चरणों में ध्यान लगा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू बाणी में रम जा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू को मन में बसा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू सेवा में देह लगा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू कार्य में धन लगा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू धाम के दर्शन कर तेरे पाप कटेंगे !
कहे मदन गोपाल तू गुरू का कहना मान मेरे भाई
तेरे पाप कटेंगे !
--
Posted By Madan Gopal Garga to Agrawal samaj kalyan (regd) at 4/11/2015 10:11:00 AM
From: Madan Gopal Garga <mggarga1@gmail.com>
Date: 2015-04-11 10:11 GMT+05:30
Subject: [Agrawal samaj kalyan (regd)] गुरू का नाम
To: mggarga4@gmail.com
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गुरू का नाम जपता जा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू का मंत्र जपता जा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू से नेह बढ़ा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू को ह्रदय में बैठा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू चरणों में ध्यान लगा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू बाणी में रम जा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू को मन में बसा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू सेवा में देह लगा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू कार्य में धन लगा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू धाम के दर्शन कर तेरे पाप कटेंगे !
कहे मदन गोपाल तू गुरू का कहना मान मेरे भाई
तेरे पाप कटेंगे !
--
Posted By Madan Gopal Garga to Agrawal samaj kalyan (regd) at 4/11/2015 10:11:00 AM
Friday, April 10, 2015
गुरू का नाम
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गुरू का नाम जपता जा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू का मंत्र जपता जा तेरे पाप कटेंगे !
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गुरू चरणों में ध्यान लगा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू बाणी में रम जा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू को मन में बसा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू सेवा में देह लगा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू कार्य में धन लगा तेरे पाप कटेंगे !
गुरू धाम के दर्शन कर तेरे पाप कटेंगे !
कहे मदन गोपाल तू गुरू का कहना मान मेरे भाई
तेरे पाप कटेंगे !
जीवन के किसी
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जीवन के किसी दुःख या ठोकर से इंसान सबक ले ले तो वह ठोकर ठोकर नहीं होती। वह तो आपके लिए एक सीख बन जाती है।
Sunday, April 5, 2015
जिसके पास धैर्य
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जिसके पास धैर्य है वह जो कुछ इच्छा करता है उसे प्राप्त कर सकता है। धैर्य कडवा होता है पर उसका फ़ल मीठा होता है। संकट के समय धैर्य धारण करना ही मानो आधी लड़ाई जीत लेना है।
Friday, April 3, 2015
Fwd: [Agrawal samaj kalyan (regd)] जब आपके पास
---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga1@gmail.com>
Date: 2015-04-04 10:00 GMT+05:30
Subject: [Agrawal samaj kalyan (regd)] जब आपके पास
To: mggarga4@gmail.com
--
Posted By Madan Gopal Garga to Agrawal samaj kalyan (regd) at 4/04/2015 10:00:00 AM
From: Madan Gopal Garga <mggarga1@gmail.com>
Date: 2015-04-04 10:00 GMT+05:30
Subject: [Agrawal samaj kalyan (regd)] जब आपके पास
To: mggarga4@gmail.com
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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
जब आपके पास सही विचार हैं, तो सही शक्ति है और सही शक्ति है तो पूर्ण सफ़लता है। जिनके पास बैठने से विचारों की महान पावर मिलती हो उनके पास बैठें। विचारों से मिलता है, दृष्टिकोण । जैसा दृष्टिकोण होता है वैसी उसकी उपलब्धियाँ होती हैं ।
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Posted By Madan Gopal Garga to Agrawal samaj kalyan (regd) at 4/04/2015 10:00:00 AM
जब आपके पास
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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
जब आपके पास सही विचार हैं, तो सही शक्ति है और सही शक्ति है तो पूर्ण सफ़लता है। जिनके पास बैठने से विचारों की महान पावर मिलती हो उनके पास बैठें। विचारों से मिलता है, दृष्टिकोण । जैसा दृष्टिकोण होता है वैसी उसकी उपलब्धियाँ होती हैं ।
Thursday, April 2, 2015
हर दिन
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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
हर दिन नया उपहार लेकर आता है, द्वार पर ठहरता है और प्रतीक्षा करनेके बाद चला जाता है ! अगर सके स्वागत के लिए तुम
तैयार हो तो वह उपहार प्रदान करता है,
नहीं तो बहूमूल्य उपहार वापिस ले कर चलाजाता है !
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